वास्ते हज़रत मुराद-ए- नेक नाम       इशक़ अपना दे मुझे रब्बुल इनाम      अपनी उलफ़त से अता कर सोज़ -ओ- साज़    अपने इरफ़ां के सिखा राज़ -ओ- नयाज़    फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हर घड़ी दरकार है फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हो तो बेड़ा पार है

 

 

हज़रत  मुहम्मद मुराद अली ख़ां रहमता अल्लाह अलैहि 

 

 हज़रत मौलाना मुहम्मद ज़ाहिद वख्शी

रहमतुह अल्लाह अलैहि

 

आप बुख़ारा के इलाक़ा हिसार की नवाही बस्ती वख़श में १४ शवाल ८५६ह बमुताबिक़ १४४८ए को इस दुनिया-ए-दनी में पैदा हुए। आप के वालदैन साहब-ए-तक़वा और बुज़ुर्ग इंसान थे। इसी लिए हज़रत ख़्वाजा मुहम्मद ज़ाहिद रहमतुह अल्लाह अलैहि की तबीयत मुबारक इबतिदा से ही दरवेशाना रही।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

इबतिदाई तालीम अपने वालिद माजिद से ही हासिल की। चूँकि आप हज़रत ख़्वाजा याक़ूब चर्ख़ी रहमऩ अल्लाह अलैहि के नवासा हैं, इस लिए आप ने तरीक़त के इबतिदाई अस्बाक़ यानी ज़िक्र की तलक़ीन आप के किसी ख़लीफ़ा से हासिल की थी। बावजूद कोशिश के इन काम नाम मालूम ना होसका। इस के बाद आप रियाज़त-ओ-मुजाहिदा में मशग़ूल होगए ।

आप के अंदर अन्वा रात अलाहीह को जज़ब करने की बेपनाह क़ुव्वत पैदा होगई थी। इसी दौरान आप के कान में हज़रत ख़्वाजा अबैदुल्लाह अहरार क़ुदस सिरा के फ़ैज़ का आवाज़ा पहुंचा तो आप ने हिसार से समरकंद की तरफ़ रख़्त सफ़र बांधा। वहां पहुंच कर आप मुहल्ला वासराए में क़ियाम पज़ीर हुए। यहां से हज़रत ख़्वाजा अबैदुल्लाह अहरार अलैहि अलरहमऩ की ख़ानक़ाह आलीया तक़रीना छः मेल के फ़ासले पर थी।

हज़रत ख़्वाजा अहरार रहमतुह अल्लाह अलैहि को बज़रीया कशफ़ मालूम हुआ कि हज़रत मौलाना मुहम्मद ज़ाहिद रहमतुह अल्लाह अलैहि हमारी मुलाक़ात के लिए आरहे हैं तो आप ने दिल में इरादा फ़रमाया कि हमें आगे जाकर इन का इस्तिक़बाल करना चाहीए। हालाँकि सख़्त गर्मी पड़ रही थी और दोपहर का वक़्त था। आप ने अपने ख़ादमीन से फ़रमाया हमारी सवारी का ऊंट लाओ और आप इस पर सवार हुए और मर यदैन को साथ लेकर चल पड़े।

किसी को मजाल नहीं थी कि इस्तिफ़सार करता कि हज़रत उस वक़्त सख़्त गर्मी के आलम में कहाँ तशरीफ़ ले जा रहे हैं। आप ने भी ऊंट को इस के हाल पर छोड़ दिया कि जहां चाहे चला जाये। बिलआख़िर ऊंट मुहल्ला वासराए में हज़रत ख़्वाजा मुहम्मद रहमतुह अल्लाह अलैहि की क़ियामगाह के सामने ठहर गया। आप ऊंट से उतरे, इसी असना में हज़रत ख़्वाजा मुहम्मद ज़ाहिद क़ुदस सिरा को भी मालूम होगया कि हज़रत ख़्वाजा अबैदुल्लाह अहरार रहमतुह अल्लाह अलैहि तशरीफ़ लाए हैं। आप बेइख़्तयार दौड़े आए और हज़रत का इस्तिक़बाल किया और आप की पाबोसी का शरफ़ हासिल किया। इस के बाद आप हज़रत को साथ लेकर इन्दर तशरीफ़ ले गए और ख़लवत में जाकर अपने वारदात-ओ-मुआमलात-ओ-मुक़ामात हज़रत ख़्वाजा अहरार की ख़िदमत में गोश गुज़ार करदिए और बैअत होने की ख़ाहिश का इज़हार फ़रमाया। हज़रत ख़्वाजा रहमतुह अल्लाह अलैहि ने आप को उसी वक़्त बैअत फ़र्मा लिया और इसी मजलिस में आप पर ऐसी तवज्जा फ़रमाई कि तमाम मनाज़िल तै फ़र्मा दें और तकमील के दर्जा तक पहुंचा दिया और साथ ही ख़िलाफ़त अता करके आप को वहीं से रुख़स्त भी इनायत फ़र्मा दी। ये देख कर हज़रत के बाअज़ मर यदैन आतिश-ए-हसरत में बेइख़्तयार हुज़ूर की ख़िदमत में अर्ज़ गुज़ार हुए कि हमें कई बरस होगए ख़िदमत बजा लाते हुए, लेकिन ऐसी मेहरबानी नहीं हुई जैसी कि आप ने हज़रत मौलाना ज़ाहिद रहमतुह अल्लाह अलैहि पर फ़रमाई कि पहली सोहबत में ही नवाज़ दिया। आप ने फ़रमाया कि मौलाना ज़ाहिद रहमतुह अल्लाह अलैहि चिराग़, तेल और बत्ती तैय्यार करके हमारे पास आए थे, हम ने सिर्फ़ रोशन करके रुख़स्त कर दिया।

अल्लाह अल्लाह! ख़ुदावंद क़ुद्दूस ने अपने प्यारे बंदों को क्या क़ुव्वत और इस्तिदाद अता फ़रमाई है। ये वाक़िया हज़रत ख़्वाजा अहरार के अज़ीम तसर्रुफ़ और हज़रत ख़्वाजा मौलाना ज़ाहिद के कमाल इस्तिदाद-ओ-क़ाबिलीयत पर दलालत करता है।

हज़रत ख़्वाजा अबैदुल्लाह अहरार रहमतुह अल्लाह अलैहि ने दीन की तरक़्क़ी-ओ-तरवीज के लिए बेपनाह काम किया और अपने बाद अपने खल़िफ़ा-ए-को छोड़ा ताकि ये मिशन जारी-ओ-सारी रहे। आप के खल़िफ़ा-ए-में सब से बड़े और मुअज़्ज़म ख़लीफ़ा हज़रत ख़्वाजा मुहम्मद ज़ाहिद वख्शी रहमऩ अल्लाह अलैहि हैं

हज़रत ख़्वाजा मुहम्मद ज़ाहिद रहमतुह अल्लाह अलैहि ने इजाज़त के बाद तब्लीग़ पर कमर किस ली और दीन की इशाअत में भरपूर हिस्सा लिया और एक दुनिया ने आप से फ़ैज़ हासिल किया और मुक़ामात-ओ-कमालात के दरजात तै किए। आप हज़रत ख़्वाजा अहरार रहमतुह अल्लाह अलैहि के ख़लीफ़ा-ए-आज़म थे और उलूम-ए-ज़ाहिर-ओ-बातिन के साथ साथ फ़ुक़्र-ओ-तजरीद और तौहीद-ओ-वरा में मुक़ामात-ए-आलीया पर फ़ाइज़ उल-मराम थे।

आप के हालात बावजूद तलाश बिसयार के ज़्यादा ना मिल सके। आप यक्म रबी उलअव्वल ९३६ह बमुताबिक़ १५२९ए को वख़श में ही वासिल बहक हुए और वहीं पर आप का मज़ार पर अनवार है, जहां से लोग फ़्यूज़-ओ-बरकात हासिल करते हैं।

माख़ुज़। हज़रात अल-क़ूदस, तज़किरा मशाइख़ नक़्शबंदिया, तज़किरा नक़्शबंदिया खीरिया, नफ़हात अल-क़ूदस